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Founder
SHRI LALLOO PRASAD

आपका जन्म 7 अक्टूबर सन 1961 में एक साधारण परिवार ग्रामीण क्षेत्र में स्व. श्री नंगू लाल जी के होनहार सुपुत्र के रूप में हुआ I पढ़ाई में उत्कृष्ट होने के कारण आप सरकारी बैंक में सन 1981 में अधिकारी के रूप में चयनित हो गए I नौकरी के दौरान कर्मचारी संगठन में बढ़-चढ़कर सक्रिय भूमिका निभाई एवं नौकरी के दौरान ही छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करना व उनके भविष्य को सुधारना यह इनकी सर्वश्रेष्ठ रुचि रही I जनपद फतेहपुर के स्वजातीय संगठनों की बैठक करके समाज को जागृत करते रहें, शिक्षित बेरोजगार युवकों की उचित आर्थिक मदद कर उनका भविष्य उज्जवल बनाया I पीड़ित व बीमार लोगों के लिए सदैव प्रथम पंक्ति में खड़े नजर आए I जनपद फतेहपुर में 40 वर्ष की नौकरी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में अनेकों बैठकें कर डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाते हुए पाखंड एवं अंधविश्वास के विरुद्ध जागृत किया और उन्हें समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध लड़ना सिखाया I आपके द्वारा सन 2015 में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो के किनारे अझुवा कस्बे में भगवान गौतम बुद्ध की विशाल प्रतिमा को स्थापित करवा कर के गरीब अनाथ बेसहारा बच्चों के लिए भोजन कपड़ा आदि का वितरण करवाया I समय-समय पर जरूरतमंद व असहाय बुजुर्गों को अनेकों बार सैकड़ो कंबल वितरण कार्यक्रम करवा कर लाभ पहुंचाया I चाहे परिवार हो अथवा अपना स्वजातीय संगठन या फिर देश की एकता अखंडता, आपकी नजर में सर्वोपरि है I डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाने में आज भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं I

Patrons
गजेंद्रनाथ सिंह

सुदूर ग्रामीण अंचल मे 30-06-1951 मे जनमे एक साधरण परिवार के मुखिया स्वर्गीय ननकू प्रसाद कोरी निवासी ,कालूखेड़ा, दुगरेई जनपद फतेहपुर के द्वारा पोशित व शिक्षित होकर सन् 1972 में राजकीय सेवा में चयन के बाद सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे| सन् 1977 तक कोटार्य भ्रात संग प्रयागराज में सम्प्रेक्षक पद पर रहकर विभिन्न जनपदों में संगठन की मीटिंग व सेमिनार करके समाज को जागृत करते रहे हैं, समाज के प्रति जुल्म व अत्याचार में समाज के साथ संघर्ष कर आर्थिक मदद करते हुए सेवा की| जनपद फतेहपुर के कोरी समाज के संगठन में विभिन्न पदों पर रहकर समाजिक कार्यक्रम करते रहे हैं| जनपद में मां भुंइयां देवी सेवा ट्रष्ट में ट्रष्टी रहकर ट्रष्ट का विस्तार व ट्रष्ट के द्वारा कार्यक्रम समाज के हित मे करते रहे हैं| सामाजिक युवाओं का प्रोत्साहन करना व शिक्षा हेतु उचित मदद करना मुख्य कार्य रहा है| वर्तमान में स्वतंत्र जनता राज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है| आपदा पीड़ित व बीमार लोगों की आर्थिक मदद करना व उचित उपचार कराने हेतु प्रयास रत रहते हैं| वर्तमान में सन् 1968 से फतेहपुर में निवास करते हैं|

पता,
अशोक नगर न्यू कॉलोनी, फतेहपुर
फ़ोन नंबर- 9450261258

Patrons
SHRI RAM KHELAWAN
The Kori Samaj, known traditionally for its weaving profession, does not have a single historically documented founder like some religious or spiritual communities. Instead, it evolved as a caste-based occupational group in ancient Indian society, primarily associated with the weaving of cotton cloth. The term “Kori” comes from the Hindi word kora, meaning clean or new cloth, reflecting their traditional occupation. However, in the 19th and 20th centuries, several social reformers from within the Kori community emerged to fight caste-based discrimination and uplift the community through education and social awareness. These leaders helped organize the Kori Samaj into a unified identity. Though not founded by one person, the modern identity of the Kori Samaj has been shaped by collective efforts of reformers, educators, and social activists who worked toward empowerment, equality, and socio-political representation for their people in a changing India.